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2 Line Shayari status

रेस वो लोग लगाते है जिसे अपनी किस्मत आजमानी हो,
हम तो वो खिलाडी है जो अपनी किस्मत के साथ खेलते है

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एक जैसे दोस्त सारे नही होते, कुछ हमारे होकर भी हमारे नहीं होते,
आपसे दोस्ती करने के बाद महसूस हुआ, कौन कहता है ‘तारे ज़मीं पर’ नहीं होते ..\

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न जाने सालों बाद कैसा समां होगा, हम सब दोस्तों में से कौन कहा होगा,
फिर अगर मिलना होगा तो मिलेंगे ख्वाबों मे, जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबों मे ..

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शायद फिर वो तक़दीर मिल जाये जीवन के वो हसीं पल मिल जाये,
चल फिर से बैठें वो क्लास कि लास्ट बैंच पे शायद फिर से वो पुराने दोस्त मिल जाएँ .

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तुम लाख दुआ कर लो मुझसे दूर जाने की ..
मेरी दुआ भी उसी खुदा से है तुझे मेरे करीब लाने की.

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एक चाहत थी.. तेरे साथ जीने की,
वरना, मोहब्बत तो किसी से भी हो सकती थी।

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कोशिश हज़ार की के इसे रोक लूँ मगर,
ठहरी हुई घड़ी में भी.. ठहरा नहीं ये वक्त।

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मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती,
पाला है बड़े नाज़ से… मेरे गमों ने मुझे !

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मैंने समुन्दर से सीखा है जीने का सलीका,
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना..

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सख़्त हाथों से भी छूट जाती हैं कभी कभी उँगलियाँ,
रिश्ते ज़ोर से नही तमीज़ से थामने चाहिए..

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जिनके पास अपने है वो अपनों से झगड़ते हैं,
नहीं जिनका कोई अपना वो अपनों को तरसते है..

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प्यार में डूब कर देखो, एक अलग ही नजारा हैं
इस चाहत भरी दुनिया में, एक नाम हमारा हैं|

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कभी तो ऐसी भी हवा चले
कौन कैसा है पता तो चले

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आनंद लूट ले बन्दे,प्रभु की बन्दगी का,
ना जाने कब छूट जाये,साथ जिन्दगी का..

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किसी रोज़ होगी रोशन, मेरी भी ज़िंदगी,
इंतज़ार सुबह का नही, किसी के लौट आने का है..

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हमसे क्या खाक उलझेगा ये जमाना,
हम तो इश्क़ कर खुद को वैसे ही उलझाये बैठे है..

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अब मेरा हाल चाल नहीं पूछते हो तो क्या हुआ,
कल एक एक से पूछोगे की उसे हुआ क्या था.

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मुझको छोड़ने की वजह.. तो बता देते,
मुझसे नाराज थे या मुझ जैसे हजारों थे।

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शायरी भी एक खेल है शतरंज का,
जिसमे लफ़्ज़ों के मोहरे मात दिया करते हैं एहसासों को।

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वो उम्र भर कहते रहे तुम्हारे सीने में दिल ही नहीं..❤
दिल का दौरा क्या पड़ा, ये दाग भी धुल गया.

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झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं,
तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती..

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किस किस तरह से छुपाऊँ तुम्हें मैं,
मेरी मुस्कान में भी नज़र आने लगे हो तुम..

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अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है,
इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए..

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“दुखो के बोझ में ज़िन्दगी कुछ इस तरह डूबे जा रही हैं
की मेरी हर एक चाहत, हर एक आस टूटे जा रही हैं|”

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किसी ने क्या खूब कहा है

सिर्फ गुलाब देने से अगर मोहब्बत हो जाती,

तो माली सारे ‘शहर’ का महबूब बन जाता

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राहे-ज़िन्दगी में यह कहानी सभी की है,
हमराज़ कोई और है, हमसफ़र कोई और है..

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दर्द का कहर बस इतना सा है,
के आँखें बोलने लगी ,आवाज़ रूठ गयी..

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कहाँ किस हाल में रहा तेरे रूठ जाने के बाद,
घर लौट ही आते हैं परिंदे मौसम बदल जाने के बाद..

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बारिश भी नाराज है आजकल हमारे शहर में,
सुना है.. वो छत पे भीगने नही आते..

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मैं नाराज़गी में बात करना छोड़ सकता हूँ,
मगर मुहोब्बत करना नही छोड़ सकता..

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कुछ वक़्त खामोश हो के देखा,
लोग सच में भूल जाते हैं..

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कागज के बेजान परिंदे भी उड़ते है,
जनाब, बस डोर सही हाथ में होनी चाहिए।

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मुझे तलाश है उन रास्तों कि, जहां से कोई गुज़रा न हो,
सुना है.. वीरानों मे अक्सर, जिंदगी मिल जाती है।

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मोहब्बत की शतरंज में वो बड़ा चालाक निकला,
दिल को मोहरा बना कर हमारी जिन्दगी छीन ली।

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गलतफहमी की गुंजाईश नहीं सच्ची मोहब्बत में,
जहाँ किरदार हल्का हो, कहानी डूब ही जाती है।

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तेरी यादों को कैसे ब्लॉक करूँ…
दिल मे ये ऑप्शन नहीं होता..

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तुम थक तो नहीं जाओगे इन्तेजार में तब तक,
मैं मांग के आऊं खुदा से तुम को जब तक..

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नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर,
कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए तो भी दिल धड़क जाता है..

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मैंने इज़हार तो किया ही नहीं,
जरूर उसने आँखों को पढ़ लिया होगा।..

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Lagti hain jinke Dil par, wo aankho se nahi rote
Jo apno ke hi naa ho paye, wo kisi ke nahi hote

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Teri mohabbat se lekar tere Alvida kahne tak
Mene sirf tujhe chaha hai tujse kuch nahi chaha

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माना की दूरियाँ कुछ बढ़ सी गयीं हैं,
लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है..

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जब जरुरत के समय काम आने वाला अपना ही पैसा बदल जाता है,
तो अपनों की बात करें..

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कुछ लडकिया तो इतनी सुन्दर होती है के ,
मैं मन ही मन में खुद को रिजेक्ट कर लेता हु..

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ज़िंदगी का हर वो रंग दिलकश लगता है,
जो आपके प्यार में हम’पर चढ़ता है …!!!

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जहाँ भी ज़िक्र हुआ सुकून का..
वहीँ तेरी बाहोँ की तलब लग जाती हैं।

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बहुत से लोग कहते है मोहब्बत जान ले लेती है..
मोहब्बत जान नहीं लेती है बिछड़ने पर यादें अंदर से तोड़ जाती है।

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सुनो..वैसे तो “तुम” मेरी “पहली” पसंद हो..हमे भी आते है अंदाज दिल तोडने के,
हर दिल मे खुदा बसता है ये सोच कर चूप हो जाते है..

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काश…!! एक खवाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
वो आ कर गले लगा ले मेरी इजाजत के बगैर..

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चलकर देखा है अक्सर, मैंने अपनी चाल से तेज,
पर वक्त, और तकदीर से आगे, कभी निकल न सके..

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Kabi zid me hi tere ho gye to kbhi dil ne tujko gawa diya
Kashmkash me h sanam k tune Yaad rakha ya bhula diya

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Meri aankho ka har aansoo tere pyar ki nishani hai
Jo tu samjhe toh moti h, na samjhe toh pani hai

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गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनके लेकर,
ज़िन्दगी ने वफ़ा कि तो कल फिर सिलसिले होंगे..

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कुछ ऐसी मोहहब्बत उसके दिल में भर दे ऐ खुदा ,
के वो जिसे भी चाहे वो मैं बन जाऊ..

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तेरी वफ़ा के तकाजे बदल गये वरना,
मुझे तो आज भी तुझसे अजीज कोई नहीं..

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Na Chand Apna Tha Aur Na Tu Apna Tha,
Kaashh Dil Bhi Maan Leta Ki Sab Sapna Tha..!!

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बड़ी अजीब है ये मोहब्बत..
वरना अभी उम्र ही क्या थी शायरी करने की।

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कोई तो आ के रुला दे कि हँस रहें हैं,
बहुत दिनों से ख़ुशी को तरस रहें हैं।

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Najane kyu rait ki tarah hatho se nikal jate hai log
Jinhe hum Zindagi samaj kar kabhi khona nai chahte

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Ye meri mohabbat thi ki deewangi ki intiha
Tere karib se gujar gya tere hi khayalo mein

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मुझे नींद की इजाज़त भी उनकी यादों से लेनी पड़ती है,
जो खुद आराम से सोये हैं मुझे करबटों में छोड़ कर।

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तेरा आधे मन से मुझको मिलने आना,
खुदा कसम मुझे पूरा तोड़ देता है।

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धड़कनो मे बस्ते है कुछ लोग,
जबान पे नाम लाना जरूरी नही होता।

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बहुत #तकलीफ होती है,
जब तुम #सबसे बात करते हो, सिर्फ मुझे #छोड़कर.

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मत तोल मोहब्बत मेरी अपनी दिल्लगी से….
चाहत देखकर मेरी अक्सर तराज़ू टूट जाते है

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रूठे हुए को मनाना तो दस्तूर-ए-दुनिया…..,
पर रूठे की मानना क्यों नहीं सीखती दुनिया

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उसकी याद आयी है सांसो जरा अहिस्ता चलो,
धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता है।

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मेरी रूह गुलाम हो गई है तेरे इश्क़ में शायद,
वरना यूँ छटपटाना मेरी आदत तो ना थी।

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शर्म नहीं आती उदासी को जरा भी,
मुद्दतों से मेरे घर की महेमान बनी हुई है।

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मैं शिकायत क्यों करूँ, ये तो क़िस्मत की बात है,
तेरी सोच में भी मैं नहीं, मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद है।

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काश.. बनाने वाले ने थोड़ी-सी होशियारी और दिखाई होती,
इंसान थोड़े कम और इंसानियत ज्यादा बनाई होती।

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‪रोता वही है जिसने महसूस किया हो सच्चे रिश्ते को,
वरना मतलब के रिश्तें रखने वाले को तो कोई भी नही रूला सकता।

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कौन कहता है अलग अलग रहते हैं हम और तुम,
हमारी यादों के सफ़र में हमसफ़र हो तुम।

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कौन कहता है के तन्हाईयाँ अच्छी नहीं होती,
बड़ा हसीन मौका देती है ये ख़ुद से मिलने का।

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वो दुश्मन बनकर, मुझे जीतने निकले थे,
दोस्ती कर लेते, तो मैं खुद ही हार जाता।

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वो सुर्ख होंठ और उनपर जालिम अंगडाईयां,
तू ही बता, ये दिल मरता ना तो क्या करता।

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कौन कहता है कि हम झूठ नही बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखिये।

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दर्द की शाम है, आँखों में नमी है,
हर सांस कह रही है, फिर तेरी कमी है।

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सारे साथी काम के, सबका अपना मोल,
जो संकट में साथ दे, वो सबसे अनमोल।

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मोहब्बत हमारी भी, बहुत असर रखती है,
बहुत याद आयेंगे, जरा भूल के तो देखो।

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शोर करते रहो तुम.. सुर्ख़ियों में आने का..
हमारी तो खामोशियाँ भी, एक अखबार हैं।

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सीख नहीं पा रहा हूँ मीठे झूठ बोलने का हुनर,
कड़वे सच से हमसे न जाने कितने लोग रूठ गये।

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वो पिला कर जाम लबों से अपनी मोहब्बत का,
अब कहते हैं नशे की आदत अच्छी नहीं होती।

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हम ने रोती हुई आँखों को हसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।

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इतनी दिलक़श आँखें होने का, ये मतलब तो नही..
कि, जिसे देखो.. उसे दिवाना कर दो।

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जिन्हे सांसो की महक से ईश्क महसूस ना हो,
वो गुलाब देने भर से हाल-ए-दिल क्या समझेंगे।

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मोहब्बत हमारी भी, बहुत असर रखती है,
बहुत याद आयेंगे, जरा भूल के तो देखो।

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जिन्हे सांसो की महक से ईश्क महसूस ना हो,
वो गुलाब देने भर से हाल-ए-दिल क्या समझेंगे।

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नफरत के बाजार में मोहब्बत बेचते है,
कीमत में सिर्फ और सिर्फ दुआ ही लेते है।

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हर कदम पर जिन्दगी एक नया मोड लेती है,
कब न जाने किसके साथ एक नया रिशता जोड देती है।

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अजीब सा हाल है कुछ इन दिनों तबियत का,
ख़ुशी ख़ुशी नही लगती और ग़म बुरा नही लगता।

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क्या अब भी तुमको चरागों की जरुरत है,
हम आ गए है अपनी आँखों में वफ़ा की रौशनी ले कर।

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दीवाना उस ने कर दिया एक बार देख कर,
हम कर सके न कुछ भी लगातार देख कर।

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वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी,
वो शख्श आज मुझको गैर कह के चला गया।

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जो उनकी आँखों से बयां होते हैं,
वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।

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खुशनसीब कुछ ऐसे हो जाये,
तुम हो हम हो और इश्क हो जाये।

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उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में,
पर खुश रहने का मज़ा आपके ही साथ है।

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ए मेरी कलम इतना सा अहसान कर दे
कह ना पाई जो जुबान वो बयान कर दे।

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अब मौत से कहो की हमसे नाराज़गी ख़त्म कर ले,
वो बहुत बदल गए है, जिसके लिए हम जिया करते थे ।

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जब लगा था खँजर तो इतना दर्द ना हुआ,
जख्म का एहसास तो तब हुआ जब चलाने वाले पे नजर पड़ी।

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परवाह नहीं अगर ये जमाना खफा रहे..
बस इतनी सी दुआ है, दोस्त मेहरबां रहे।

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बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में​,
जिंदगी लम्बी बहुत है, क्या पता कब प्यास लग जाए​।

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जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है,
जो साज़ पर बीती है वो दर्द किस दिल को पता।

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कौन तोलेगा हीरों में अब तुम्हारे आंसू सेराज़,
वो जो एक दर्द का ताजिर था दुकां छोड़ गया।

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तासीर किसी भी दर्द की मीठी नहीं होती ग़ालिब,
वजह यही है की आँसू भी नमकीन होते है।

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मेरे टूटने का ज़िम्मेदार मेरा जौहरी ही है,
उसी की ये ज़िद थी की अभी और तराशा जाए।

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ये सुर्ख लब, ये रुखसार, और ये मदहोश नज़रें
इतने कम फासलों पर तो मयखाने भी नहीं होते।

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अपने रब के फैसले पर, भला शक केसे करूँ,
सजा दे रहा है गर वो, कुछ तो गुनाह रहा होगा मेरा।

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शान‬ से ‪जीने‬ का‪‎शौंक है, वो तो हम ‪‎जियेंगे
बस ‪तूँ ‬अपने ‪आप‬ को‪‎ सम्भाल हम तो ‪यूहीँ ‬‪चमकते‬ रहेंगे।

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रिश्तो की जमावट आज कुछ इस तरह हो रही है,
बहार से अच्छी सजावट और अन्दर से स्वार्थ की मिलावट हो रही है!!

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दिल से बड़ी कोई क़ब्र नहीं है,
रोज़ कोई ना कोई एहसास दफ़न होता है॥

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तेरी आंखों के आईने में जब-जब देखी अपनी छाया,
खुद को पूरी क़ायनात से भी ज्यादा खूबसूरत पाया।

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मुश्किलों से कह दो की उलझे ना हम से,
हमे हर हालात मैं जीने का हूनर आता है।

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हम से पूछो शायरी मागती है कितना लहू,
लोग समझते है धंधा बङे आराम का हैं!!

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मेरी हर शायरी मेरे दर्द को करेगी बंया ‘ए गम’
तुम्हारी आँख ना भर जाएँ, कहीं पढ़ते पढ़ते..!!

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कुर्सी है, तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है,
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते।

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मेरे न हो सको, तो कुछ ऐसा कर दो,
मैं जैसी थी.. मुझे फिर से वैसा कर दो।

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वो आज मुझ से कोई बात कहने वाली है,
मैं डर रहा हूँ के ये बात आख़िरी ही न हो।

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लोग वाकिफ हे मेरी आदतो से,
रूतबा कम ही सही पर लाजवाब रखता हूँ।

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लम्हे फुर्सत के आएं तो, रंजिशें भुला देना दोस्तों,
किसी को नहीं खबर कि सांसों की मोहलत कहाँ तक है।

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परवाह नहीं चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो,
चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो।

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मेरी आवाज को महफूज कर लो.. मेरे दोस्त
मेरे बाद बहुत सन्नाटा होगा.. तुम्हारी महफ़िल में।

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कभी शाम होने के बाद.. मेरे दिल में आकर देखना,
खयालों की महफिल सजी होती है और जिक्र सिर्फ तुम्हारा होता है।

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सवर रही है अब वो किसी और के लिए..
पर मैं बिखर रहा हूँ आज भी उसी के लिए।

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शतरंज मे वज़ीर और ज़िंदगी मे ज़मीर,
अगर मर जाए तो समझिए खेल ख़त्म।

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मोहब्बत और मुकद्दर में बरसों से जिद का रिश्ता है,
मोहब्बत जब भी होती है तो मुकद्दर रूठ ही जाता है।

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आसानी से जो कोई मिल जाए तो वो किस्मत की बात है,
सूली पर चढ़कर भी जो ना मिले उसे मोहब्बत कहते है!!

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हम तो पागल है जो शायरी में ही दिल की बात कह देते है..
लोग तो गीता पे हाथ रखके भी सच नहीं बोलते।

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तेरा नाम लूँ जुबां से तेरे आगे ये सिर झुका दूँ,
मेरा इश्क़ कह रहा है, मैं तुझे खुदा बना दूँ।

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